
किन्नौर: जिला किन्नौर के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों फुलाइच मेला शुरू हो गया है. फुलाइच का अर्थ फूलों का मेला है. जिसमें स्थानीय ग्रामीण पहाड़ों से ब्रहाकमल उठाकर अपने देवता को समर्पित करते हैं. इन दिनों जिला किन्नौर के बारंग, पूंनंग, सांगला वैली, हंगरंग वैली में फुलाइच मेला शुरू हुआ है. जिसमें सभी ग्रामीण अपने स्थानीय देवताओं के मंदिर प्रांगण में एकत्रित होते हैं.
इस दौरान सभी ग्रामीण किन्नौर की पारम्परिक वेशभूषा (Phulaich fair begins in Kinnaur) पहनकर आते हैं और स्थानीय देवता को ऊंचे पहाड़ों से उठाकर लाए हुए शुद्ध ब्रह्मकमल फूल समर्पित कर उनकी पूजा अर्चना करते हैं और किन्नौर के पारम्परिक मेले का आयोजन भी होता है. जिला किन्नौर के अंदर फुलाइच मेला गांव के आपसी सामंजस्य व देव समाज को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।सैकड़ों वर्ष पुराने इस मेले का उद्देश्य गांव की सुख शांति व समृद्धि के लिए होता है. जिसे आज भी जिले के लोग अपने अपने ग्रामीण क्षेत्रों में अपने समय अनुसार मनाते हैं। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर ज़िले में फुलाइच मेला मनाया जाता है, जिसे फूलों का मेला भी कहते हैं. इस मेले में लोग पारंपरिक वेशभूषा पहनकर आते हैं और स्थानीय देवता को ब्रह्मकमल के फूल अर्पित करते हैं. यह मेला गांव के आपसी सामंजस्य को बढ़ाता है.
जनजातीय जिला किन्नौर के देव परिसरो में ग्रामीणों द्वारा मनोरजन करने की सदियों पुरानी परपरा आधुनिकता के दौर में भी जीवत है